Kaal Sarp Pujan
- 21 June 2012
शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत जरुरी सामग्रियों में भांग और धतूरे का नाम भी आता है | परन्तु आम व्यक्तियों में यह धारणा देखी गयी है कि भगवान शिव नशे के लिए इन वस्तुओं का उपयोग करते हैं, उन लोगों के लिए बस इतना ही कहूंगा
" जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी "
अर्थात जो स्वयं दोषी (नशेड़ी) होता है उसको दुनिआ भी दोषी (नशेड़ी) नजर आती है |
वैज्ञानिक कारण
भांग और धतूरे के कई औषधीय गुण भी है, उनमें से एक है इसको निश्चित मात्रा में सेवन करने से बदन गरम रहता है और सभी यह जानते हैं कि कैलाश पर्वत पर जबर्दस्त ठण्ड होती है |
धार्मिक कारण
देवी भागवत पुराण के अनुसार शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हालाहल विष को पी लिया तब वह व्याकुल होने लगे।तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की। उस समय से ही शिव जी को भांग धतूरा प्रिय है। जो भी भक्त शिव जी को भांग धतूरा अर्पित करता है, शिव जी उस पर प्रसन्न होते हैं।
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करिये और विस्तार से जानिये शिव के बारे में
महाशिवरात्रि का क्या महत्त्व है ?
कौन सा मंत्र है भोले नाथ को सबसे प्रिय ?
भस्म क्यों है अत्यत प्रिय है शिव को ?