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kaal Sarp Yoga

कालसर्प / नाग शाप शांति

कालसर्प आज कल का सबसे प्रचलित योग है, नाग-शाप शांति के उपाय हमारे शास्त्रों मे मौजूद है ! नागों तथा सापों से सम्बंधित मंत्र और ऋचाएं हमारे वेदों में उपलब्ध हैं ! अतः नागशाप या कालसर्प शांति प्रयोग अनादि काल से होता चला आ रहा है! राहू-केतु से उत्पन्न योग को कालसर्प योग कहते हैं, जबकि नागों द्वारा प्रदत्त शाप नागशाप कहलाता है ! काल सर्प योग का मानव जीवन पर जबरदस्त शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ता है !यही कारण है की ये योग सबसे जायदा प्रचलित हो गया है, कुछ  लोग काल सर्प योग को नहीं मानते और तर्क देते है की जब राहू और केतु ही नहीं होते तो काल-सर्प कहाँ से हो जाएगा ! उन लोगो से मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ , की अब ज्योतिष भी हम विदेशी संस्कृति से सीखेंगे, क्योंकि विदेशी ज्योतिष के जानकार भी राहू केतु के अस्तित्व पर सवाल उठाते चले आये है ! ज्योतिष के विद्वान ये प्रश्न भी उठाते है कि काल सर्प का नाम तो किसी भी प्रमाणिक ज्योतिष कि पुस्तिका में नहीं है तो ये बात तो सच है कि ज्योतिष कि किसी भी प्राचीन पुस्तिका में काल सर्प का नाम नहीं है परन्तु राहू-केतु  के बारे मे तो विस्तार से विवरण मौजूद है चाहे वो गुरु-चंडाल योग हो या फिर ग्रहण योग हो ! प्रत्येक प्रमाणिक पुस्तिका में नाग शाप से सम्बद्ध सामग्री मिल जायेगी, नाग शाप शांति विधान भी मिल जायेंगे ! आप दूसरी भाषा में ये कह सकते है  कि काल सर्प योग का नाम नया है पर ये योग नया या मनगढ़ंत है तो ये हास्यास्पद लगता है! जो लोग इस योग से पीड़ित है या जिन्होंने राहू कि दशा गुजारी है वो भली भांति जानता है कि राहू और केतु क्या हैं !

काल प्रकाशिका के अनुसार

शनि से दुगना बली मंगल होता है ! मंगल से चार गुना बली बुध होता है ! बुध से आठ गुनी बली गुरु होता है ! गुरु से शुक्र आठ गुनी बली होता है ! शुक्र से चन्द्र सोलह गुनी बलित होता है ! चन्द्र से दुगना सूर्य बली होता है ! सूर्य आदि समस्त ग्रहों से दुगना बली राहू होता है !

काल प्रकाशिका के अनुसार

कुंडली में ३,६,११ भाव में यदि राहू बैठा हो और उसे शुभ ग्रह देख रहा हो तो वह सभी प्रकार का पाप नस्त कर देता है! मेष, वृष, कर्क का राहू समस्त बाधा नाशक होता है !

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