Sep 19, 2014 Amit Behorey Navratri 0
१) शैलपुत्री – नवरात्री के प्रथम दिन मनोवांछित फल के लिए माँ दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री के रूप में पूजा करने की मान्यता है ! पर्वतराज हिमवान की पुत्री होने के कारन आप शैलपुत्री कहलाई ! माता शैलपुत्री बैल पर सवार है और दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है ! अपने पूर्व जन्म में आपने दक्ष कन्या के रूप में अवतार लिया था ! तब आपने अपने कठोर तप से भगवान शंकर को प्रसन्न कर के उन्हें अपने पति के रूप में पाया था |
२) ब्रह्मचारिणी – नवरात्री के दूसरे दिन माँ दुर्गा का पूजन – अर्चन ब्रह्मचारिणी के रूप में किया जाता है ! कठोर तपस्या के कारण आप ब्रह्मचारिणी कहलाई ! आपके मस्तक पर स्वर्ण-मुकुट, दाहिने हाथ में जय के माला तथा बाएं हाथ मे कमंडल सुशोभित रहता है ! माँ दुर्गा का यह स्वरुप सिद्धि तथा विजय प्रदान करने वाला है ! इस स्वरुप की उपासना करने वाला भक्त के मन में त्याग और धैर्य की वृद्धि होती है !
ब्रह्मचारिणी मंत्र और पूजन विधि
३) चंद्रघंटा – नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा का पूजन- अर्चन “चन्द्रघंटा” के रूप में करने का विधान है ! मस्तक पर घंटाकार चन्द्र सुशोभित होने के कारण आप चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध हुई ! आप दस हाथों वाली है, आपका वाहन सिंह है ! आपके दाहिने हाथ में अभय मुद्रा, धनुष-बाण तथा कमल हैं और पाचवाँ हाथ ह्रदय स्थित माला पर है ! आपके बाएं हाथ में कमंडल, वायुमुद्रा, खड़ग, गदा तथा त्रिशूल हैं ! आप दुष्टों के दमन और दलन के लिए सदा तत्पर रहती हैं ! आपकी आराधना के प्रभाव से भक्त सिंह के भातिं निर्भय और साहसी हो जाता है ! चन्द्रघंटा मंत्र और पूजन विधि
४) - कुष्मांडा – नवरात्री के चौथे दिन माँ दुर्गा की उपासना ” कुष्मांडा ” के स्वरुप में की जाती है ! आपके शरीर की कांति सूर्य के सामान है ! आपकी आठ भुजाएं है, इसी कारण आपको अष्टभुजी भी कहा जाता है, आपका वाहन सिंह है ! आपके दाहिने हाथों मे कमंडल, धनुष-बाण और कमल सुशोभित है तथा बाएं हाथों में अमृत कलश, जय की माला, गदा और चक्र हैं ! आपके आराधक समस्त रोग-शोक से मुक्त हो जाते हैं तथा दीर्घायु को प्राप्त होते हैं !
५) स्कंदमाता - नवरात्री के पांचवे दिन माँ दुर्गा की उपासना “स्कंदमाता” स्वरुप में करने का विधान है ! आप कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण स्कंदमाता कहलाई ! आपकी चार भुजाएँ है ! आपका वाहन भी सिंह है ! आपकी उपासना से आराधक की समस्त कामनाएं पूर्ण होती है और वह मोक्ष को प्राप्त होता है ! आपने देव शत्रु तारकासुर का वध किया था !
६) कात्यायनी- नवरात्री के छठे दिन माँ दुर्गा की उपासना “कात्यायनी” के रूप में की जाती है ! ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण आप कात्यायनी कहलाई ! आपने महिषासुर का वध किया था, आपकी चार भुजाएं हैं, आपका वाहन सिंह है ! आपकी दाहिनी भुजाओं मे अभय व् वर मुद्रा और बायीं भुजाओं मे खडग और कमल सुशोभित हैं ! आप वज्रमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप मे प्रतिष्ठित हैं ! आपकी निष्ठा से पूजन करने वाले को मोक्ष मिलता है !
७) कालरात्रि – माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरुप कालरात्रि कहलाता है ! नवरात्री के सातवें दिन इसी स्वरुप में आपका पूजन अर्चन किया जाता है ! आपका रंग अंधकार की तरह काला है, सर के केश बिखरे हुए हैं, गले में विधुत की चमचमाती माला है ! आप चार भुजाओं और तीन नेत्रों वाली हैं ! साँस लेने से आपकी नासिका से अग्नि की लपटें निकलती हैं ! आपका वाहन गधा है ! आपका आराधक शुभ फलों को प्राप्त करता है ! आपको “शुभंकरी” भी कहा जाता है !
८) महागौरी- माता गौर-वर्ण(अत्यंत गोरी) की हैं और श्वेत वस्त्र धारण करने वाली हैं, माता की चार भुजाएँ हैं | आपका वाहन वृषभ है, आपकी अवस्था आठ वर्ष मानी जाती है ! आपकी दाहिनी ओर की भुजाओं में वर मुद्रा व् त्रिशूल हैं तथा बायीं भुजाओं में डमरू व अभय मुद्रा शुशोभित हैं | माता ने शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अत्यंत कठोर तपस्या की थी | माता शक्ति पुंज है | महागौरी की निष्ठा पूर्ण आराधना करने से उपासक के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं |
९) सिद्धिदात्री – नवरात्री के नवें दिन माँ दुर्गा के “सिद्धिदात्री” स्वरुप की आराधना का विधान है ! माँ सिद्धिदात्री अपने उपासक को आठों सिद्धियाँ प्रदान करने में सक्षम हैं ! आप चार भुजाओं वाली हैं ! आपने दायीं भुजाओं में गदा व् चक्र और बायीं भुजाओं में पद्य और शंख धारण कर रखा है ! आपके मस्तक पर स्वर्ण मुकुट और गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित है ! आपके आराधक के लिए संसार की हर वास्तु सुलभ हो जाती है कमल के पुष्प पर आसीन माँ सिद्धिरात्री की उपासना सुर-असुर, गन्धर्व, यक्ष आदि सभी श्रद्धा पूर्वक करते हैं !
सिद्धिदात्री मंत्र और पूजन विधि
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