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Surya -The King of Astrology

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सूर्य के नाम -
संस्कृत- भानुमानम्, दीप्तरश्मि, मार्त्तण्ड, दिनेश, प्रभाकर, दिनकर, भास्कर, तपन, रवि, आदित्य |
अंग्रेजी- SUN (सन ) |
उर्दू - आफ़ताब और शम्स |

वर्ण - गुलाबी
अवस्था - वृद्ध
लिंग - पुरुष
जाति - क्षत्रिय
स्वरुप - सुन्दर
गुण - सत्त्व
तत्त्व- अग्नि
प्रकृति - पित्त
धातु - तांबा ( मतान्तर से - स्वर्ण )
ऋतू - ग्रीष्म
रत्न - माणिक (Ruby )

ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रहों में सूर्य को राजा का पद प्राप्त है | वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है |.समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है | सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है | वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है | वेदों की ऋचाओं में अनेक स्थानों पर सूर्य देव की स्तुति की गई है | पुराणों में सूर्य की उत्पत्ति ,प्रभाव ,स्तुति मन्त्र इत्यादि का वर्णन है |

आधिपत्य - सूर्य को आत्मा, नेत्र, कलेजा, अस्थि (हड्डी ), शारीरिक गठन, शक्ति, आरोग्यता, व्यक्तित्व, इडा नाड़ी, उच्च बौद्धिक विकास, राज्य, सत्ता सुख, राजकीय सुख, ऐश्वर्य, प्रभुत्व, सिद्धि, महत्वकांक्षा, सत्व गुण, राज कृपा, अविष्कार, अधिकार और राजनीति का अधिपति माना गया है |

कारक - सूर्य लग्न, धर्म और कर्म भाव का कारक माना गया है, सूर्य से श्री, लक्ष्मी और विशेष रूप से पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |

सूर्य से प्रभावित अंग - सिर, ह्रदय, मेरुदंड, स्नायु, उदर, मस्तिष्क, नेत्र, रक्त, फुफ्फुस (Lungs ) तथा जठराग्नि को प्रभावित करता है |

सूर्य से इन रोगो पर विचार किया जाता है -
मंदाग्नि, अजीर्ण, अर्श, मधुमेह, हैजा, ज्वर, क्षय, अपेंडिसाइटिस, सिर-दर्द, नेत्र-विकार, अतिसार, अग्नि वृद्धि, अपस्मार (मिर्गी)

सूर्य कि मुख्य धातु तांबा है, परन्तु सूर्य स्वर्ण पर भी अधिकार रखता है | इसके अतिरिक्त सूर्य धान्य, लाल-चन्दन, पशमीने की वस्तुएं, ऊन, मूंगफली, सरसों, नारियल, बादाम, लाल रंग के पुष्प और वस्तुएं तथा लाल गौ का भी प्रतिनिधित्व करता है |
सूर्य राजा, धनवान, IAS अधिकारी, फ़ौज के बड़े अधिकारी, ब्राह्मण, किसी भी क्षेत्र का ख्यातिप्राप्त व्यक्ति, कलाकार, औषधि विक्रेता, सुनार तथा जौहरी का भी प्रतिनिधित्व करता है |
जन्मकुंडली में सूर्य के शुभ स्थान हैं - 3 ,6 ,10 और 11
सूर्य की स्वराशि 'सिंह' है |
मेष राशि में सूर्य उच्च का होता है, तुला राशि में नीच का होता है तथा सिंह राशि में मूल त्रिकोण का होता है | (मेष के 10 अंश तक परमोच्च, तुला के 10 अंश तक परम नीच तथा सिंह के 20 अंश तक मूल त्रिकोण का होता है |

मित्र और शत्रु
चंद्रमा, मंगल तथा बृहस्पति सूर्य के नैसर्गिक मित्र हैं |
शुक्र,शनि, राहु और केतु इसके शत्रु हैं |
बुध से यह समभाव रखता है |

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