अक्षय तृतीया
- 13 May 2021
हिंदू परिवारों में नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है | यदि पूर्ण विधिपूर्वक घट स्थापना करनी हो तो पंचांग पूजन (गणेश-अंबिका, वरुण, षोडशमातृका, सप्तघृतमातृका, नवग्रह आदि देवों का पूजन) तथा पुण्याहवाचन (मंत्रोच्चार) ब्राह्मण द्वारा कराएं अथवा स्वयं करें। घट (कलश) स्थापना पारिवारिक नियम के अनुसार करें |
घट स्थापना घट स्थापना में ज्वार या जौ अर्थात जौ की खेती बोई जाती है। जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है। जौ की खेती का हरा-भरा होना इस बात का प्रतीक है कि इसी तरह जीवन भी हरा-भरा रहेगा और साथ ही देवी की कृपा भी बनी रहेगी। घट स्थापना सुबह ही करें और इसका स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें। सर्वप्रथम स्नान कर गाय के गोबर से पूजा स्थल का लेपन करें। घट स्थापना के लिए एक अलग चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं तथा इस पर अक्षत से अष्टदल बना कर एक बर्तन में जौ बीजें तथा इसके बीच में अपनी इच्छानुसार मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का जल से भरा कलश स्थापित करें।
अखण्ड ज्योति नवरात्र के दौरान लगातार नौ दिनो तक अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। किंतु यह आपकी इच्छा, पारिवारिक नियम एवं सुविधा पर है। आप केवल पूजा के दौरान ही सिर्फ दीपक जला सकते है।
आसन लाल अथवा सफेद आसन पूरब की ओर बैठकर नवरात्रि करने वाले विशेष को पूजा, सप्तशती पाठ, मंत्र जप, हवन एवं अनुष्ठान करना चाहिए।
सप्तशती पाठ नवरात्री में माता का पाठ अवश्य होना चाहिए | स्वयं पाठ करें - घर के प्रत्येक व्यक्ति को पाठ करना चाहिए यदि समय की कमी है तो योग्य ब्राह्मण द्वारा पाठ संपन्न करवाएं | सप्तशती का संपुट अथवा साधारण पाठ करें। पाठ की पूर्णाहुति के दिन दशांश हवन अथवा दशांश पाठ करना चाहिए। नवरात्र के आखिरी दिन कन्या पूजन के बाद जौ के पात्र का विसर्जन करें। सप्तशती पाठ विधि
पूजन प्रतिदिन माता का पंचोपचार पूजन करें और भोग लगाएं, भोग श्रद्धा अनुसार विशेष अन्य खाद्द्य पदार्थो के अलावा हलुए का भोग जरूर चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन भोग की लिस्ट
कुलदेवी का पूजन
हर परिवार मे मान्यता अनुसार जो भी कुलदेवी है उनका श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजा अर्चना करना चाहिए।
विसर्जन
विजयादशमी के दिन समस्त पूजा हवन इत्यादि सामग्री को किसी नदी या जलाशय में विसर्जन करना चाहिए।
पूजा सामग्री
कुंकुम, सिन्दुर, सुपारी, चावल, पुष्प, इलायची, लौग, पान, दुध, घी, शहद, बिल्वपत्र, यज्ञोपवीत, चन्दन, इत्र, चौकी, फल, दीप, नैवैध(मिठाई), नारियल आदि।