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Will World End on 21Dec2012....?

 

21 मई 2011 बीत गयी और 21 दिसम्बर 2012 भी बीत जाएगा.......

हर कुछ दिन पर कोई न कोई न्यूज़ चैनल या कोई न कोई पत्रिका और आज कल तो होर्डिंग भी लोगों को महाप्रलय की नयी तारीख बताते रहते है ! इस से सिवाय दहशत के कुछ भी नहीं होता ! अब बात की जाए की आखिर दुनिया का अंत कब होगा ? सभी धर्मों की अपनी अपनी मान्यता है, परन्तु यदि हम सनातन धर्म के अनुसार हम इस ब्रह्माण्ड को समझें तो हम इस वक़्त कलियुग में चल रहे है और कलियुग की शुरुआत श्रीकृष्ण भगवान की मृत्यु के 14 वर्षों के बाद हुई ! हमारे धर्म के भविष्योक्त पुराण के अनुसार कलियुग 4,32,000 वर्षों का है और कलियुग की शुरुआत हुए अभी लगभग 6000 वर्ष ही बीते है ! इस बात से ये बात तो स्पष्ट है की अभी कलियुग ख़त्म होने अर्थात प्रलय होने में  लगभग 4,26,000 वर्ष का समय और है !'

सनातन धर्म के अनुसार युगों को चार भाग में विभक्त किया गया है -

१) सत्य-युग (Golden Yug) सत्य-युग की महिमा ही निराली थी, हर तरफ सत्य का ही बोल बाला था 100 % व्यक्ति ईमानदार, धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ  थे ! कहीं भी किसी भी तरह का पाप नहीं था ! इस युग में इंसान की औसत आयु 100000 वर्ष हुआ करती थी !

२) त्रेता-युग  (Silver Yug) त्रेता-युग में भगवान श्री राम का जन्म हुआ ! 75% लोग ईमानदार, धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ  थे ! 25 % पापी और राक्षस प्रवर्ति पनप चुकी थी ! इस युग में इंसान की औसत आयु 10000 वर्ष हुआ करती थी !

३) द्वापर-युग (Bronze Yug) द्वापर-युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ ! इस युग में 50 % लोग ही ईमानदार, धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ थे ! अर्थात आधे लोग पापी हो चुके थे, इसी युग में भाई बंधुओं में महाभारत जैसा युद्ध हुआ ! इस युग में इंसान की औसत आयु 1000 वर्ष हुआ करती थी !

४) कलि-युग  (Dark Yug) कलि-युग में केवल 25 % लोग ही ईमानदार, धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ हैं ! पाप और पापी बढ़ते जा रहे हैं, रोजाना हमे नए नए पापीओं से दो चार होना पड़ता है ! इस युग में भी जब पाप और अनाचार अपने चरम पर होगा तो भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा और समस्त पापों और पापिओं का नाश करने के बाद इस युग का भी अंत होगा ! इस युग की औसत आयु 100 वर्ष है ! आप सभी देख सकते है युग दर युग पाप और पापिओं की संख्या बढाती जा रही है और इंसान की आयु निरंतर कम होती जा रही है ! हम कई पाप ऐसे कर रहे है जिसका की कोई ओर छोर नहीं है -

  • वृक्ष काटे जा रहे है
  • धर्म और धार्मिकता का स्वरुप आडम्बर वाला होता जा रहा है
  • जनसंख्या बढ़ती जा रही है
  • पर्यावरण का संतुलन हम ख़राब करते जा रहे है

हम और हमारे वैज्ञानिक नित नए अनुसन्धान कर रहे है, लेकिन उसके लिए प्रकृति और पर्यावरण का कोई मोल नहीं रहा है ! अब जब चीज़ें उनके कण्ट्रोल से बाहर हो रही है तो कहते है ग्लोबल वार्मिंग होगी और सब खत्म हो जाएगा! अभी भी देर नहीं हुई है धर्म और पर्यावरण से जुड़ कर तो देखो जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आने मे जायदा समय नहीं लगेगा !

अमित बहोरे 

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